बीजामृत बनाने की विधि

🌱 बीजामृत क्या है? उपयोग, बनाने की विधि और फायदे – पूरी जानकारी

प्राकृतिक खेती में बीजों का सही तरीके से उपचार करना बेहद जरूरी होता है। बीजामृत एक पारंपरिक जैविक घोल है, जिसका उपयोग बीजों को बीज जनित रोगों से बचाने और उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है।

इस लेख में आप जानेंगे:
बीजामृत क्या होता है?
इसे कैसे बनाएं?
इसका उपयोग कैसे करें?
और इसके क्या फायदे हैं?

🧪 बीजामृत बनाने के लिए आवश्यक सामग्री

सामग्री मात्रा

पानी 20 लीटर
देसी गाय का गोबर 5 किलोग्राम
गोमूत्र (गाय का मूत्र) 5 लीटर
चुना (चूना पाउडर) 50 ग्राम
राइजोस्पेरिक मिट्टी (जड़ वाली मिट्टी) मुट्ठीभर

⚠️ हमेशा देसी गाय का ताजा गोबर और गोमूत्र ही इस्तेमाल करें।

🧑‍🔬 बीजामृत बनाने की विधि

1. गोबर का अर्क तैयार करें:
5 किलो गोबर को सूती कपड़े में लपेटें और 20 लीटर पानी से भरी बाल्टी में 12-16 घंटे तक डुबो कर रखें।

2. चूना घोल बनाएं:
1 लीटर पानी में 50 ग्राम चुना मिलाकर एक अलग बर्तन में घोल तैयार करें।

3. मिट्टी मिलाएं:
जड़ वाली मिट्टी (राइजोस्पेरिक मिट्टी) 50 ग्राम लेकर चुने के घोल में मिलाएं।

4. सभी घोलों को मिलाएं:
अब गोबर का अर्क, चुना-मिट्टी घोल और 5 लीटर गोमूत्र मिलाकर अच्छे से मिला दें।

5. 8-12 घंटे के लिए छोड़ें
इस मिश्रण को ढककर 8-12 घंटे के लिए छोड़ दें। अब आपका बीजामृत तैयार है।

🌾 बीजामृत का उपयोग कैसे करें?

बीजामृत को किसी भी फसल के बीजों पर लगाएं।

बीजों को हाथ से अच्छे से मिलाकर कोट करें।

फिर उन्हें छांव में सुखाकर बोआई करें।

छोटे या नाजुक बीजों को कुछ मिनटों तक ही डुबोएं और तुरंत सुखाएं।

✅ बीजामृत के फायदे

1. बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ती है।

2. बीज जनित रोगों से सुरक्षा मिलती है।

3. फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है।

4. रासायनिक बीज उपचार की जरूरत नहीं पड़ती।

5. जैविक खेती के लिए 100% सुरक्षित और सस्ता उपाय।

📌 अंतिम सुझाव:

यदि आप जैविक खेती करना चाहते हैं तो बीजामृत का उपयोग अनिवार्य करें।
यह फसल की नींव मजबूत करता है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचाता।

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