जीवामृत: प्राकृतिक खेती के लिए अमृत समान जैविक घोल


🌿 प्राकृतिक खेती में मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और फसल की वृद्धि को बढ़ाने के लिए "जीवामृत" एक अत्यंत उपयोगी जैविक घोल है। यह पूरी तरह देसी सामग्री से तैयार होता है और खेत में रासायनिक खादों का विकल्प बनता है।

इस लेख में हम जानेंगे:

जीवामृत क्या है?

इसे कैसे बनाएं?

खेत में कैसे उपयोग करें?

इसके लाभ क्या हैं?

📋 आवश्यक सामग्री (Ingredients for Jeevamrut)

सामग्री मात्रा

पानी 200 लीटर
देसी गाय का गोबर 10 किलोग्राम
देसी गाय का गोमूत्र 10 लीटर
गुड़ (जैविक शक्कर) 2 किलोग्राम
बेसन या कोई आटा (उत्तम: मूँग, चना) 2 किलोग्राम
राइजोस्पेरिक मिट्टी मुट्ठीभर (स्वस्थ फसल की जड़ से ली गई मिट्टी)

🛠 जीवामृत बनाने की विधि

1. 200 लीटर पानी एक प्लास्टिक ड्रम या बड़े बर्तन में भरें।

2. उसमें 10 लीटर गोमूत्र डालें (केवल देसी गाय का हो तो बेहतर)।

3. अब 10 किलो गोबर मिलाएं और अच्छी तरह घोलें।

4. फिर 2 किलो गुड़ डालें – इससे सूक्ष्मजीवों को ऊर्जा मिलती है।

5. अब 2 किलो बेसन या मूँग/चना का आटा डालें – यह प्रोटीन स्रोत है।
6. अंत में एक मुट्ठी राइजोस्पेरिक मिट्टी डालें – इसमें उपयोगी जीवाणु होते हैं।

7. लकड़ी की छड़ी से दिन में दो बार (घड़ी की सुई की दिशा में) घोल को चलाएं।

8. ड्रम को ढक कर छांव में 48 घंटे तक रखें। अब यह घोल उपयोग के लिए तैयार है।

🌾 जीवामृत का उपयोग कैसे करें?

स्प्रे के रूप में:
जीवामृत को 5–10% पानी में मिलाकर पत्तों पर छिड़काव करें।

सिंचाई के साथ:
इसे सिंचाई के पानी में मिलाकर खेतों में डालें, खासकर पौधों की जड़ों के पास।

✅ जीवामृत के फायदे

1. मिट्टी में जैविक गतिविधि तेज करता है, जिससे उसकी उर्वरता बढ़ती है।

2. फसल की वृद्धि, जड़ों का विकास और फूल-फल बनने की प्रक्रिया को सुधारता है।

3. रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करता है।

4. मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या और विविधता बढ़ाता है।

5. सस्ते में तैयार होकर खेती की लागत घटाता है।

📌 सुझाव:

जीवामृत ताजे और देसी गौ-उत्पादों से ही बनाएं।

महीने में 2-3 बार इसका उपयोग करना बहुत लाभकारी है।

हर बार उपयोग से पहले घोल को अच्छे से मिलाना न भूलें।

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