भारत में खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों का कारण और वैश्विक परिदृश्य
भारत में खाद्य तेल की कीमतें हाल के समय में लगातार बढ़ रही हैं। पाम ऑयल, सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल में पिछले साल के दौरान तेज वृद्धि देखने को मिली है। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर इन तेलों की कीमतें इतनी तेजी से क्यों बढ़ रही हैं और भारत किस प्रकार वैश्विक तेल बाजार पर निर्भर है।
तेलों की कीमतों में हालिया वृद्धि
- पिछले एक साल में भारत में तेल की कीमतों में इस प्रकार की वृद्धि देखी गई:
- पाम ऑयल: 32% की बढ़ोतरी
- सूरजमुखी तेल: 26% की बढ़ोतरी
- सोयाबीन तेल: 18% की बढ़ोतरी
- इन तीनों तेलों में से अधिकांश वृद्धि पिछले महीने देखने को मिली, जिससे आम जनता की जेब पर सीधा असर पड़ा।
- भारत की आयात पर निर्भरता
भारत अपनी खाद्य तेल की खपत का लगभग 60% हिस्सा आयात पर निर्भर करता है। इसका मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव सीधे भारत में तेल की कीमतों पर प्रभाव डालते हैं।
वैश्विक उत्पादन और स्थिति
पाम ऑयल
इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा पाम ऑयल उत्पादक देश है। लेकिन इस साल उत्पादन में गिरावट देखने को मिली है। इसके साथ ही इंडोनेशिया B40 नीति लागू कर रहा है, जिसके तहत पाम ऑयल का 40% हिस्सा बायोडीज़ल (जैव ईंधन) के लिए आवंटित किया जाएगा। इससे अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति और भी कम हो रही है।
सोयाबीन तेल
दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक देश ब्राज़ील है। ब्राज़ील भी अपने सोया तेल का बड़ा हिस्सा जैव ईंधन में परिवर्तित कर रहा है। अमेरिका दुनिया के 60-70% सोयाबीन उत्पादन का केंद्र है। भारत में सबसे ज्यादा सोयाबीन उत्पादन महाराष्ट्र में होता है, जबकि मध्य प्रदेश (इंदौर जिले) दूसरे नंबर पर है।
सूरजमुखी तेल
रूस और यूक्रेन में प्रतिकूल मौसम के कारण सूरजमुखी तेल का उत्पादन प्रभावित हुआ है। यह भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों को बढ़ाने का एक कारण है।
आयात शुल्क और कीमतों पर असर
हाल ही में भारत ने आयात शुल्क 20% बढ़ा दिया, वहीं मलेशिया ने अपने निर्यात शुल्क में 9.75% की वृद्धि की। यह तीन साल में पहली बार हुआ है। इन कदमों से घरेलू आपूर्ति बाधित होती है और कीमतों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
भारत की खाद्य तेल आयात पर निर्भरता, वैश्विक उत्पादन में गिरावट, जैव ईंधन के लिए तेल का इस्तेमाल और आयात-निर्यात शुल्क—इन सभी कारणों से भारत में तेल की कीमतों में तेजी आई है। अगर इन वैश्विक परिदृश्यों पर ध्यान नहीं दिया गया तो घरेलू बाजार में तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं।
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