मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना
भारत जैसे विशाल देश में महिलाएँ आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं। यदि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त किया जाए, तो देश की प्रगति दोगुनी गति से हो सकती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में बहुत कम है।
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लाड़ली बहना योजना |
ग्रामीण भारत में पुरुषों की श्रम भागीदारी 57.7% है, जबकि महिलाओं की केवल 23.3%। शहरी क्षेत्रों में यह अंतर और भी स्पष्ट दिखाई देता है – जहाँ पुरुषों की भागीदारी 55.9% है, वहीं महिलाओं की मात्र 13.6%।
यह स्थिति बताती है कि महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता अभी भी एक बड़ी चुनौती है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक योजना की शुरुआत की – मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना।
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
28 जनवरी 2023 को मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री ने सम्पूर्ण प्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना लागू करने की घोषणा की। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है –
- महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन को मज़बूत करना।
- महिलाओं और उनके आश्रित बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर को सुधारना।
- परिवार में महिलाओं की निर्णय लेने की भूमिका को सशक्त बनाना।
- महिलाओं को छोटे-छोटे व्यवसाय और स्वरोजगार की दिशा में प्रोत्साहित करना।
योजना की मुख्य विशेषताएँ
- योजना के अंतर्गत पात्र महिलाओं को प्रतिमाह ₹1250 की आर्थिक सहायता दी जा रही है।
- यह राशि सीधे महिलाओं के आधार लिंक बैंक खाते में जमा की जाती है।
- इस आर्थिक मदद से महिलाएँ न केवल अपनी घरेलू ज़रूरतें पूरी कर सकती हैं, बल्कि नए रोजगार या स्वरोजगार की दिशा में भी कदम बढ़ा सकती हैं।
- महिलाओं को परिवार और समाज में अधिक सम्मान और निर्णायक भूमिका प्राप्त होती है।
समग्र – आधार e-KYC की आवश्यकता
इसके फायदे:
- योजना के संचालन में सरलता और पारदर्शिता।
- महिलाओं की स्थानीय निवासी होने की पुष्टि।
- डुप्लिकेट समग्र आईडी की समाप्ति।
- केवल पात्र महिलाएँ ही योजना का लाभ ले सकेंगी।
महिलाएँ अपनी e-KYC नजदीकी राशन दुकान, MP Online सेंटर या CSC कियोस्क पर निःशुल्क करवा सकती हैं। सरकार प्रत्येक e-KYC के लिए कियोस्क को ₹15 सीधे देती है।
आधार लिंक और डीबीटी बैंक खाता क्यों ज़रूरी?
इस योजना का भुगतान DBT (Direct Benefit Transfer) प्रणाली से किया जाता है।
लाभ:
- भुगतान असफल होने की संभावना बहुत कम।
- राशि सीधे महिला के आधार लिंक खाते में पहुँचेगी।
- पैसे के उपयोग पर महिला की स्वतंत्रता और नियंत्रण रहेगा।
- परिवार के खर्चों और आवश्यकताओं में महिला का योगदान और महत्व बढ़ेगा।
- यह राशि छोटे व्यवसाय या स्वरोजगार की शुरुआत के लिए भी उपयोगी हो सकती है।
योजना का सामाजिक प्रभाव
1. परिवार स्तर पर
महिलाएँ अब परिवार के निर्णयों में अधिक सक्रिय हो रही हैं। बच्चों की शिक्षा, भोजन और स्वास्थ्य पर खर्च में सुधार देखने को मिला है।
2. ग्राम स्तर पर
गाँवों में महिलाएँ स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर दूध उत्पादन, सब्ज़ी की खेती, हस्तशिल्प या छोटे दुकानों जैसे कार्य शुरू कर रही हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिल रहा है।
3. सामाजिक दृष्टिकोण से
जब महिलाएँ आत्मनिर्भर होती हैं, तो समाज में उनका सम्मान बढ़ता है। वे अब केवल गृहिणी की भूमिका तक सीमित नहीं, बल्कि परिवार और समाज की निर्माता बन रही हैं।
चुनौतियाँ और आगे की राह
हालाँकि यह योजना बहुत सफल है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं –
- सभी महिलाओं का समय पर e-KYC पूरा होना।
- दूरदराज़ के इलाकों में बैंकिंग सुविधाओं की कमी।
- महिलाओं को स्वरोजगार के लिए उचित प्रशिक्षण और मार्गदर्शन की आवश्यकता।
यदि सरकार इन पहलुओं पर भी ध्यान देती है, तो यह योजना और अधिक प्रभावी होगी।
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