घन-जीवामृत क्या है? बनाने की विधि, उपयोग और लाभ
प्राकृतिक खेती में मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ाने के लिए "घन-जीवामृत" एक अत्यंत प्रभावी जैविक इनपुट है। यह जीवामृत का ठोस रूप है, जो लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है और आसानी से खेतों में उपयोग किया जा सकता है।
![]() |
घनजीवा महिला बनाती हुए |
आवश्यक सामग्री (सामग्री की सूची)
सामग्री मात्रा
- सूखा गाय का गोबर 100 किलोग्राम
- गोमूत्र आवश्यकता अनुसार (थोड़ी मात्रा)
- गुड़ 1 किलोग्राम
- बेसन / पल्स फ्लोर 2 किलोग्राम
- राइजोस्पेरिक मिट्टी मुट्ठी भर
घन-जीवामृत बनाने की विधि
1. गोबर तैयार करना
100 किलो अच्छी तरह सूखा हुआ गाय का गोबर लें और ज़मीन पर पतली परत में फैला दें।
2. गोमूत्र मिलाना
उसमें थोड़ी मात्रा में गोमूत्र छिड़कें ताकि गोबर हल्का नम हो जाए।
3. बेसन और गुड़ डालना
गोबर के ऊपर 1 किलो बेसन और 2 किलो गुड़ मिलाएं। ये दोनों जीवाणुओं के लिए ऊर्जा स्रोत हैं।
4. राइजोस्पेरिक मिट्टी मिलाएं
मुट्ठीभर राइजोस्पेरिक मिट्टी डालें, जो मिट्टी के अच्छे जीवाणु लेकर आती है।
5. सभी को मिलाकर लड्डू बनाएं
सभी सामग्री को अच्छी तरह मिलाकर छोटे-छोटे लड्डू बना लें।
6. लड्डुओं को सुखाना और संग्रह करना
धूप में लड्डुओं को अच्छे से सुखाएं। सूखने के बाद इन्हें बोरी में भरकर 6 महीने तक स्टोर किया जा सकता है।
उपयोग की विधि
- बुआई या खेत की तैयारी के समय, प्रति एकड़ 100 किलो ग्राम घन जीवामृत मिट्टी में मिलाकर प्रयोग करें।
- इसे सीधा खेत में छिड़क कर मिट्टी में मिलाया जा सकता है।
घन-जीवामृत के फायदे
1. मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या और सक्रियता बढ़ाता है।
2. भारी जैविक खादों के कारण होने वाले अपघटन को रोकता है।
3. मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है।
4. भंडारण आसान – एक बार तैयार कर के 6 महीने तक सुरक्षित रख सकते हैं।
Post a Comment