दशपर्णी अर्क: एक शक्तिशाली देसी कीटनाशी – बनाने की विधि, उपयोग और लाभ

 प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर जैविक, देसी और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों का प्रयोग किया जाता है। इन्हीं में से एक है – दशपर्णी अर्क। यह दस प्रकार की औषधीय पत्तियों और अन्य देसी सामग्रियों से तैयार किया गया प्राकृतिक कीटनाशक अर्क है।

📋 आवश्यक सामग्री

सामग्री मात्रा

  • नीम की पत्तियाँ 5 किलोग्राम
  • सेंगुंडा (Vitex negundo) 2 किलो
  • अरीस्टोलोचिया की पत्तियाँ 2 किलो
  • पपीते की पत्तियाँ 2 किलो
  • टिनोस्पोरा (गिलोय) 2 किलो
  • करंज 2 किलो
  • अरंडी 2 किलो
  • करंज 2 किलो
  • करटेस सेब 2 किलो
  • नीम के अलावा अन्य कोई पत्तियाँ 2 किलो
  • हरी मिर्च का पेस्ट 2 किलो
  • लहसुन पेस्ट 250 ग्राम
  • गाय का गोबर 3 किलो
  • गोमूत्र 5 लीटर
  • पानी 200 लीटर

बनाने की विधि (तैयारी)

  • 200 लीटर पानी किसी प्लास्टिक ड्रम या टंकी में लें।
  • ऊपर दी गई सभी पत्तियों और सामग्री को पीसकर/कूटकर पानी में मिला दें।
  • इस मिश्रण को ढककर 1 महीने (30 दिन) तक किण्वित होने दें।
  • रोज़ाना लकड़ी की छड़ी से घोल को घड़ी की दिशा में हिलाएं।
  • 30 दिन बाद घोल को छान लें – अब यह फसल पर छिड़काव के लिए तैयार है।

उपयोग कैसे करें?

छिड़काव हेतु इस घोल को 2–3% के अनुपात में पानी में मिलाएं।
उदाहरण: 10 लीटर पानी में 200–300 मिली दशपर्णी अर्क।

छिड़काव सुबह या शाम को करें, धूप में न करें।
दशपर्णी अर्क के लाभ
  • रस चूसने वाले कीड़ों (जैसे सफेद मक्खी, थ्रिप्स, माहू) के लिए प्रभावी।
  • सभी प्रकार की इल्लियों और बॉलवर्म्स पर नियंत्रण करता है।
  • रसायनों का विकल्प – मानव, पशु, मृदा व पर्यावरण के लिए सुरक्षित।
  • बार-बार छिड़काव से फसलों में रोग और कीट प्रकोप बहुत कम हो जाता है।

 उपयोगी सुझाव:

  • पत्तियों को कच्चे रूप में ही प्रयोग करें – सूखी पत्तियाँ असरदार नहीं होतीं।
  • गोमूत्र देसी गाय का हो तो अधिक लाभदायक होता है।
  • बारीक छानकर छिड़काव करें ताकि नोज़ल चोक न हो।
अर्क पारंपरिक भारतीय कृषि ज्ञान का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह कम लागत में, घर पर ही तैयार होने वाला एक प्रभावशाली जैविक कीटनाशक है। यदि आप प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहते हैं, तो यह अर्क अवश्य ही आपके कीट नियंत्रण समाधान का हिस्सा होना चाहिए। 

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