विकसित भारत जी-राम-जी योजना 2025 — ग्रामीण रोजगार और आत्मनिर्भर भारत की नई दिशा
भारत सरकार ने ग्रामीण भारत के विकास और रोजगार सृजन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में घोषणा की कि “विकसित भारत: जी-राम-जी योजना (Vikasit Bharat: G-RAM-G Scheme)” के तहत केंद्र सरकार का योगदान अब 86,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर लगभग 95,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
यह कदम देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले करोड़ों परिवारों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा।
यह न केवल मनरेगा (MGNREGA) की मजबूत निरंतरता है, बल्कि एक विस्तृत और अधिक प्रभावी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का नया रूप भी है।
योजना का उद्देश्य
“विकसित भारत: जी-राम-जी योजना” का मुख्य उद्देश्य है —
ग्रामीण परिवारों को स्थायी रोजगार, आजीविका के साधन, और आत्मनिर्भर बनने के अवसर प्रदान करना।
इस योजना के अंतर्गत केंद्र और राज्य दोनों मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में 125 दिनों का वैधानिक रोजगार गारंटी सुनिश्चित करेंगे,
जो पहले 100 दिनों का था।
योजना का मकसद केवल मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को इस स्तर तक सशक्त बनाना है
जहाँ हर व्यक्ति को अपने गाँव में ही सम्मानजनक जीवन यापन के अवसर मिल सकें।
राष्ट्रपति की मंजूरी और वैधानिक बदलाव
केंद्रीय कृषि मंत्री के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा “विकसित भारत – रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025” को मंजूरी दी जा चुकी है।
इस अधिनियम के तहत रोजगार की अवधि को 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है,
जो ग्रामीण मजदूरों के जीवन में स्थिरता और सुरक्षा लाएगा।
इस अधिनियम में राज्यों को केवल कार्यान्वयन एजेंसी (Implementation Agency) के रूप में नहीं देखा गया है,
बल्कि उन्हें विकास के भागीदार (Partners in Development) के रूप में जोड़ा गया है।
राज्यों को अब अधिकार मिला है कि वे अपनी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप
नई योजनाएँ अधिसूचित करें और उन्हें लागू करें।
केंद्र सरकार का बढ़ा हुआ योगदान
इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने अपना योगदान लगभग 9,000 करोड़ रुपये बढ़ाया है।
पहले जहाँ मनरेगा के तहत ₹86,000 करोड़ का प्रावधान था,
अब इसे बढ़ाकर ₹95,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
यह दर्शाता है कि मोदी सरकार ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन को लेकर
कितनी गंभीर और समर्पित है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह वृद्धि सरकार की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है
जो वह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए लगातार निभा रही है।
मनरेगा से तुलना
श्री चौहान ने बताया कि यूपीए सरकार के 10 सालों में
मनरेगा पर कुल ₹2.13 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
वहीं नरेंद्र मोदी सरकार ने अब तक इस योजना पर ₹8.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं।
बजट आवंटन में भी भारी वृद्धि हुई है —
2013-14 में जहाँ बजट मात्र ₹33,000 करोड़ रुपये था,
वहीं 2024-25 में यह बढ़कर ₹86,000 करोड़ रुपये हो गया।
और अब “विकसित भारत जी-राम-जी योजना” के तहत
यह राशि ₹95,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है।
यह वृद्धि यह साबित करती है कि सरकार ने ग्रामीण भारत को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए
पिछले वर्षों में अभूतपूर्व निवेश किया है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
श्री चौहान ने यह भी बताया कि ग्रामीण रोजगार योजनाओं में
महिलाओं की भागीदारी 48% से बढ़कर लगभग 57% हो गई है।
यह बदलाव बताता है कि महिलाओं को अब केवल परिवार की जिम्मेदारी तक सीमित नहीं रखा गया,
बल्कि उन्हें ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनाया जा रहा है।
महिलाएँ अब खेतों में कार्य, स्वयं सहायता समूहों का संचालन, और लघु उद्योगों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
इससे ग्रामीण समाज में महिला सशक्तिकरण को नई दिशा मिली है।
राज्यों की भूमिका और भागीदारी
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि “जी-राम-जी योजना” की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि
राज्य सरकारों को अब योजना के कार्यान्वयन के साथ नीति निर्माण में भी भागीदारी दी गई है।
राज्यों को अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप
योजनाएँ बनाने, अधिसूचित करने और क्रियान्वित करने का अधिकार दिया गया है।
इससे योजना में लचीलापन आएगा और
हर राज्य अपने संसाधनों और परिस्थितियों के अनुसार
रोजगार सृजन में बेहतर प्रदर्शन कर सकेगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही
2013 में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में
मनरेगा के अंतर्गत व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के मामले सामने आए थे।
रिपोर्ट में बताया गया कि 23 राज्यों में 43 लाख फर्जी जॉब कार्ड बने हुए थे,
और हजारों करोड़ रुपये की अनियमित निकासी की गई थी।
इन गलतियों को सुधारने के लिए जी-राम-जी योजना में
डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, ऑनलाइन पेमेंट, और आधार आधारित वेरिफिकेशन को अनिवार्य किया गया है।
अब मजदूरी सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में DBT के माध्यम से भेजी जाएगी,
जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
ग्रामीण विकास और आर्थिक प्रभाव
यह योजना ग्रामीण भारत में स्थायी रोजगार के साथ-साथ
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, जल संरक्षण, भूमि सुधार, और कृषि उत्पादकता को भी बढ़ावा देगी।
125 दिनों के रोजगार से ग्रामीण परिवारों की आय में 20–25% तक वृद्धि होने की संभावना है।
साथ ही, सरकार द्वारा निर्माण कार्यों, तालाबों, सड़कों और सामुदायिक भवनों के निर्माण से
ग्राम स्तर पर आर्थिक गतिविधियाँ भी बढ़ेंगी।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
“विकसित भारत जी-राम-जी योजना” केवल रोजगार देने की योजना नहीं है,
बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने का माध्यम है।
यह योजना ग्रामीण युवाओं को अपने गाँव में ही कार्य करने के अवसर देती है,
जिससे ग्रामीण पलायन (Rural Migration) में कमी आएगी।
कृषि, पशुपालन, ग्रामीण उद्योग, और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में
नई संभावनाएँ उत्पन्न होंगी, जो देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाएँगी।
तकनीकी सुधार और डिजिटल इंडिया से जुड़ाव
जी-राम-जी योजना को Digital India Mission से भी जोड़ा गया है।
सभी कार्यों का रिकॉर्ड, मजदूरी भुगतान, और योजना प्रगति
अब डिजिटल रूप से मॉनिटर की जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल ऐप और पोर्टल के माध्यम से
लोग अपने काम के दिन, भुगतान की स्थिति, और कार्यस्थल की जानकारी देख सकेंगे।
यह पारदर्शिता न केवल जनता का विश्वास बढ़ाएगी,
बल्कि प्रशासनिक दक्षता भी सुनिश्चित करेगी।
भविष्य की दिशा
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में
ग्रामीण भारत को “रोजगार और उत्पादन का केंद्र” बनाया जाए।
जी-राम-जी योजना के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है
कि हर परिवार को साल में कम से कम 125 दिन का सुनिश्चित कार्य मिले
और ग्रामीण भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़े।
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